घँघरू अंतिम भाग
घुँघरू अंतिम भाग
इस प्रकार श्रीचरणों की नूपुर में जुड़ा घुँघरू अपनी स्वामिनी जु के चरणों मे यही आशा करता है कि युगल नाम युगल प्रेम ही जीवन बने।
मुझ निर्बल को बल तुम्हीं किशोरी कितहुँ मेरी ठौर!
विनय करूँ कर जोरि स्वामिनी निरखो मेरी ओर !!
तेरी शरण पड़ी हूँ किशोरी जैसो चाहो मोहे रखना !
कोई देव क्यों मनाऊँ लाडली मोहे तेरा नाम ही जपना !!
जन्म जन्म तोहे भूली श्यामा अबहुँ द्वार पड़ी हूँ तेरो !
अपनी कीजौ मोहे कुँवरी श्यामा भव बन्धन होय घनेरो!!
मोहे भरोसो तेरो लाडली गाऊं मैं राधा नाम!
तेरो चरणन ही ठौर किशोरी यहीं मिले बिसराम!!
जय जय श्रीराधे
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