हे प्यारी रस भामिनी

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हे प्यारी रस भामिनी दीजौ नवल सिंगार 
तृषित रूप-क्षुधित रसिक पिय लोचत नव रससार
नवल नवल सिंगार नित नवल नवल रूप रसरीति
मेटो सकल हिय ताप किशोरी अलबेली ललित रँगी प्रीति
मनोरमे रस बढावै सु केलि नवेली नित गाईये
बाँवरी चाह्वै स्वामिनी ललित नवीनत सुं लपेटि केलित तृषा पवाईये

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