पथ चलना नहीं आवे
हरिहौं पथ चलना नाँहिं आवै
मति नादान मूढ़ होय बाँवरी पुनि पुनि पथ गिर जावै
होऊँ तिहारो ही जन नाथा मोहे पथ चलन समर्था दीजौ
चपत लगावो या दुलरावो आपहुँ जिस भाँति चाह्वो कीजौ
नाँहिं राखूँ बुद्धि बल कोऊ समर्था तुम्हरौ बल बलशाली
निज चरणन ही रति मति कीजौ छुटै विषय भोग जंजाली
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