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*प्रेम हिंडोरा 3*
श्रीयुगल को नित नित नये चाव लड़ाना ही तो दासी, मञ्जरी , किंकरियों का सुख है, अपने अनन्त कोटि प्राणों का सुख श्रीयुगल का सुख। आज फिर अपने प्राण श्रीयुगल के लिए उपवन में हिंडोरा सजाया है। सभी मंजरियों का हृदय आह्लादित हो रहा है, उपवन में मन्द मन्द सुगन्धित पवन प्रसारित हो रही है। प्रत्येक पुष्प, लता, वल्लरी, वृक्ष, खग, मृग जैसे अपने प्राणों को निहारने को उन्मादित हैं। जैसे ही श्रीयुगल इस झूले पर विराजित हों हर कोई अपने हृदय में प्रेम हिंडोरे में विराजित करने की प्रतीक्षा में है, सभी को अपनी अपनी भाव सेवा देकर श्रीश्यामाश्याम को सुख देना है। उन्हें नेत्र भर निहारने की व्याकुलता प्रत्येक हृदय में हो रही है।
पवन मधुरता से भरती जा रही है। आकाश में काले काले बादल छा रहे हैं। अब तो प्रत्येक हृदय उन्मादित हुआ जा रहा है। कुछ सखियों सँग श्यामाश्याम आकर हिंडोरे पर विराजमान हो जाते हैं।
प्यारे श्यामाश्याम की निहारन से ही प्रत्येक हृदय फूल रहा है। जब प्यारे श्रीयुगल प्रेम हिंडोरे पर विराजमान होकर गलबहियाँ दिये बैठते हैं तो सभी के प्राणों को अनन्त कोटि सुख होता है।अलियन प्रेम पूर्वक झोंटा दे रही हैं। सहसा प्यारी जु के नेत्र आकाश में श्याम वर्ण के बादल पर पड़ते हैं, प्यारी जु के नेत्र कुछ क्षण वहीं स्थिर हो जाते हैं। मुख से श्यामसुंदर श्यामसुंदर श्यामसुंदर....... यही नाम निकलता है। बादलों को देख प्यारी जु की भाव दशा हो गयी है कि श्यामसुंदर बहुत दूर चले गए हैं। कम्पकपाती हुई श्यामा जु मुख से प्रियतम श्यामसुंदर का नाम लेती हुई, नेत्र बहाती हुई हिंडोरे से उठ खड़ी होती है तथा उपवन में बादलों की दिशा में दौड़ने लगती है।जैसे श्यामसुंदर को छू लेने को प्राण व्याकुल हों। बाँवरी हुई श्रीप्रिया को जरा भी भान नहीं है कि अभी तो हिंडोरे पर प्रियतम सँग झूल रही थी। विरहणी हुई भागने लगती है।
सहसा वर्षा की बूंदे गिरने लगती हैं। जैसे ही बूंदे प्यारी जु के मुख से स्पर्श करती हैं श्रीप्रिया उसमें प्रियतम का ही स्पर्श अनुभव करने लगती है। धीरे धीरे वर्षा की बूंदे गिरते गिरते श्रीप्रिया को प्रियतम स्मृति में डुबो देती हैं।एक ही जगह खड़ी हुई श्रीराधा अनुभव करती है जैसे वह श्यामसुंदर के आलिंगन में है। मुख से उसी प्रकार श्यामसुंदर श्यामसुंदर पुकार रही हैं। नेत्र मूंदे हुए हैं, श्रीप्रियतम हिंडोरे से उठ श्रीप्रिया को आलिंगन में ले लेते हैं।सभी सखियन अलियन के हृदय सुखानुभूति में आह्लादित होने लगते हैं।
जय जय श्रीराधेश्याम !!
जय जय श्रीवृंदावन !!
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