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 *प्रेम हिंडोरा 7*

    आज प्रियतम श्यामसुंदर का जन्मोत्सव है। श्रीप्रिया जु अति प्रसन्न हैं। आज श्रीप्रिया जु ने पीला लहँगा धारण किया हुआ है जिसमे नीचे की और गुलाबी रँग की झालर है। सभी सखियन, अलियन ने भी आज पीत वस्त्र धारण किये हुए हैं। अपने प्राणधन श्रीयुगल को लाड करने को आज हिंडोरा भी पीले पुष्पों से सजाया हुआ है।

   श्रीस्वामिनी जु हिंडोरे पर विराजमान हैं, परन्तु प्रियतम की प्रतीक्षा में हिंडोरा अभी झुलाया नहीं जा रहा। श्यामसुन्दर को बधाई देने का आज सभी हृदयों में चाव है, परन्तु अभी तक प्रियतम श्रीप्रिया जु के पास आए नहीं हैं। पीत वस्त्र धारण किये एक दासी श्रीस्वामिनी जु के चरणों के पास बैठी है। श्रीस्वामिनी जु के सुकोमल अरुणिम चरण जिनपर अलता महावर सुशोभित हो रही है। पैरों में मनीजड़ित , घुंघुरुदार नूपुर है तथा उंगलियों में बिछुए जगमगा रहे हैं। इन चरणों की शोभा कहते नहीं बन रही है, स्वयम प्रियतम इनकी सेवा के लिए व्याकुल रहते हैं।

    दासी स्वामिनी जु के चरणों के पास ही बैठी है। स्वामिनी जु सँग प्रियतम के जन्म उत्सव की वार्ता हो रही है। सखियन अलियन ने आज कुञ्ज को बहुत चाव से सजाया है। वार्ता करते हुए इस बाँवरी दासी ने चरण सेवा आरम्भ कर दी है, परन्तु चरणों को धीरे धीरे दबाने से पूर्व अपना मस्तक इन चरणों पर धर दिया है, जाने हृदय में किस विशेष सुख की अनुभूति हुई कि नेत्रों से अश्रु बिंदु ढुरक पड़े हैं। जैसे ही अश्रु श्रीप्रिया जु के चरण कमलों से स्पर्श करता है , श्रीस्वामिनी भीतर तक कम्पित हो जाती हैं। 

     दासी अपने आँचल से चरण पोंछ कर जैसे ही चरण कमलों को स्पर्श करती है, दोनो ओर से प्रेम स्पंदन होने लगता है। श्रीप्रिया स्वामिनी जु दासी के मुख से पीत चुनर हटाकर देखती है , तथा उनके मुख से अनायास ही निकल जाता है, प्रियतम !! जैसे ही प्रियतम उठ खड़े होते हैं श्रीप्रिया जु उनको जन्मोत्सव की बधाई देती हुई आलिंगन करती हुई मुस्कुराने लगती है। उनकी प्रसन्नता से जैसे चहुँ ओर प्रेम संगीत झँकृत हो गया है, रस तरँगे उठ उठ दोनों हृदयों में व्याकुलता भर रही है तथा चारों ओर किया गया मधुर श्रृंगार उन हृदयों को निमंत्रण दे रहा है , प्रेम बधाई प्रेम उत्सव की जय हो.......
*बाँवरी*
जय जय श्रीश्यामाश्याम !!
जय जय श्रीवृन्दावनधाम !!

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