प्राणधन हिय करे प्रलाप
प्राणधन हिय करे विरह प्रलाप
पीर जरे न हिय क्षण को भारी विरह को ताप
काहे दूर कियौ मोहे रमणा रख लीजौ आप
बाँवरी बिरहन करत रह्यौ पिय प्राणधन जाप
भर लीजौ प्रेमालिंगन प्राणधन मिटे झकल संताप
प्राणधन हिय करे विरह प्रलाप
पीर जरे न हिय क्षण को भारी विरह को ताप
काहे दूर कियौ मोहे रमणा रख लीजौ आप
बाँवरी बिरहन करत रह्यौ पिय प्राणधन जाप
भर लीजौ प्रेमालिंगन प्राणधन मिटे झकल संताप
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