रसिकन की चरण रज

रसिकन की चरण रज नित्य नित्य सीस धरइयै
श्यामाश्याम युगल नाम सों ही प्रीत रँगीली पइयै
प्रीत रँगीली हिय उमगावै आपहुँ जग बिसरइयै
षडरस न भावै क्षण को रस लोभी होय जइयै
जगत को रस लागै सब फ़ीके हरिरस हिय उमगइयै
रसिकन सँग रखियो क्षण क्षण को हिय युगल खेलइयै

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