शौक़ तेरा मेरा

दिल जला सा है बहुत आज फिर मेरा
क्यों खेलने का शौक़ हो गया तुमको
क्या तुमसे इश्क़ करना ही खता मेरी है
पर दिल तोड़ने का शौक़ हो गया तुमको

पगलाई सी मैं ढूंढती रही परछाई तेरी
पर अब छिपने का शौक़ हो गया तुमको
जाओ अब नहीं पुकारेंगे आंख भर तुम्हें
बात अनसुनी करने का शौक़ हो गया तुमको

बहुत कह लिया लिख लिया तेरी ख़ातिर
बिन पढ़े गुजरने का शौक़ हो गया तुमको
लौट जाओ वापिस अब एहसासों से मेरे
वफ़ाएँ भुलाने का शौक हो गया तुमको

हाँ बहुत दर्द है आज कह भी न पाएंगे अब
खामोश सा रहने का शौक़ हो गया मुझको
अब न सुनना कोई आह कोई सिसकी मेरी
रूह तलक जलने का शौक हो गया मुझको

कोशिश करती हूँ कि भूल जाऊँ अब तुम्हें
सब कुछ भुलाने का शौक़ हो गया मुझको
वफ़ा तो कभी थी ही न बहती रगों में मेरे
छिपाया पर बताने का शौक़ हो गया मुझको

बुलाओगे भी तो अब न आएंगे चौखट पर
यूँ ही तड़पते मर जाने का शौक़ हो गया मुझको
कोशिश तो की पर कामयाब न हुए कभी
खुद को जिस्म से हटाने का शौक हो गया मुझको

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