रसिक युगल्वर
*रसिक युगलवर*
आहा!!ये रसिक युगल का नाम ही ऐसो अमृत होय , कोऊ सुने तो लगे कर्णपुट ते रस ही जाय रह्यौ भीतर । रस ही घुल रह्यौ। नाम ही ऐसो रसीलो होय , रस को बून्द बून्द जाय रह्यौ भीतर। कबहुँ जिव्हा ते उच्चारण होय तो लागे प्यारे प्यारी सँग झूम रहे, नृत्य कर रहे आह्लादित हो। ऐसो रस होय की नाच लयो , झूम लयो इन दोऊ रस भँवर सँग। कबहुँ या रसीले युगल को नाम भीतर हृदय। माँहिं स्फुरित होय तो लागे आह!!मेरी रँगीली सरकार कितनो कोमल , याको नाम कितनो मधुर । माधुर्य झर रह्यो नाम सों ही ।हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण. .....ऐसो उन्माद की या रँगीली जोड़ी ही आह्लादित करे या हिय को रस बनकर।
कबहुँ तो याको नाम निकल ही न पावे मुख ते। हिय माँहिं रह जावै, अखियाँ झरन लगें , हाय मेरे प्यारे प्यारी । हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण ......हाय मेरी गौर सांवल जोड़ी यह जीवन आपके नाम बिना ही निकल गयो। साँचो नेह ही न होय या कठोर हिय माँहिं। पुनः पुनः ताप उठे। हाय नाम ही न निकले....
कैसो कैसो रस , कैसो मधुरता होय या नाम माँहिं। कबहुँ तो प्यारे प्यारी खेलन लाग्यो नाम लेवन ते ही । हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण.....
हमारी रंगिली मधुरातिमधुर युगल जोड़ी को यह मधुर नाम । गाती रहूँ , सुनती रहूँ , नाचती रहूँ, रोती रहूँ इस मधुर नाम की मधुरता में।
रँगीली रसिकवर जोड़ी आपने नाम रूप मे प्रत्येक हृदय माँहिं रमण करे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
प्रत्येक हिय वृन्दावन होय जावै या मधुर जोड़ी रस विहार करती रहे, रमण रँगीले रमण करते रहें
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
महाप्रभु जी द्वारा प्रदत्त युगल की मधुर नाम की मणिमाला *हरे कृष्ण महामन्त्र* की जय हो। *रमण रँगीले युगल की जय हो*
जय जय गौरहरि
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