नाम हरि का भज

नाम हरि का भज रे मनवा झूठा जगत पसारा
हरिनाम ही धन तेरा सच्चा काहे फिरे बिसारा

माया का लोभी तू बन्दे माया ने भरमाया
हरि नाथ तेरे हरि सखा रे जन्मों रहे भुलाया
इत उत डोले लोभी बनकर ना मन से हरि पुकारा
नाम हरि का भज रे ......

कोऊ न साचा साथी तेरा हरि नाम ही सँगी
हरि नाम भुलाए बैठा न नाम चुनरिया रँगी
भव ताप से जले रात दिन फिरता मारा मारा
नाम हरि का भज रे ........

जन्मों से तू भूला बैठा कहाँ तेरा है धाम
कौन ठौर जाना है बन्दे कहाँ तेरा विश्राम
जन्म जन्म माया भरमाया बैठा हर जन्म बिगारा
नाम हरि का भज रे मनवा झूठा जगत पसारा
हरिनाम ही धन तेरा सच्चा काहे फिरे बिसारा

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