तुम हो

यह घुलता सा नशा
तुम हो

जो इस दिल ने कहा
तुम हो

नज़र गई है जहाँ
तुम हो

फूलों में खुशबू से
तुम हो

बादल से बरसते पल पल
तुम हो

इश्क़ का इक समंदर
तुम हो

बस अब बाहर अंदर
तुम हो

सांसों की वह आहट
तुम हो

मीठी सी खिलखिलाहट
तुम हो

आंखों से बहते अश्क़
तुम हो

यह नशे सा इश्क़
तुम हो

दिल की हर धड़कन
तुम हो

मुझसे जुड़ा हर बन्धन
तुम हो

दिल के भीतर और बाहर
तुम हो

बहता सा यह सागर
तुम हो

तेरे बिना न देखना कुछ न सुनना
प्रीत के हर ताने बाने तुम में बुनना
कुछ है अब तो बस
तुम हो तुम हो तुम हो...

तुम

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