पूरी चोरी

मनहर तुम पुरो करो मेरी चोरी
आधी अधूरी जगत न डोलूँ सुन लो पिय निहोरी
आधी अधूरी तुम सँग हो ली आधी जगत पसारा
इत जाऊँ कबहुँ उत जाऊँ पावै नाँहिं हिय पारा
जन्म की करे बाँवरी प्रतीक्षा सुन लो मनहर मोरी
आधी अधूरी कहीं न छोड़ो पूरी कीजौ चोरी

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