जेइ देस बसे प्रियतम
जेइ देस प्रीतम बसे सोई देस रह जाऊँ
बाँवरी होय पिय पिय बोलूँ हिय पिय बसाऊँ
बिरहन को कछु भावे नाँहिं देह कैसो रखाऊँ
आस मिलन की न हिय होवै क्षण भी प्राण न पाऊँ
आवो मोहना पीर उठे भारी कौन विध गाय सुनाऊँ
तुमहीं रोग भयो तुम्हीं हो बूटी कौन सो वैद बुलाऊँ
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