काहे रखिये प्राण
पिय बिन काहे रखिये प्रान
स्वास स्वास पिय नाम टेरत रहूँ तड़पत मीन समान
भूलत फिरत सुधि बाँवरी अबहुँ पिय सों कीजौ मान
देह सुधि बिसराय रह्यौ विरहणी खान पीन को भान
पीर उठे हिय अंतर भारी लावै हिय सोई पावै जान
बाँवरी देखत राह पुनि पुनि धावै प्रियतम मिल्यो आन
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