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Showing posts from July, 2019

आसान नहीं

आसान नहीं नहीं आसान नहीं बिल्कुल भी यह सँग तुम्हारा नहीं तुम्हारे प्यारों का सँग हाँ सच उनकी सहजता उनकी कोमलता उनकी सुगन्ध उनकी मृदुलता क्षण भर को भी छू लेती है न तो ग्लानि ...

भोगन

हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार जन्म जन्म की बिगरी बाँवरी कछु न भ्यो सुधार हरिनाम भजन की रीति बिसराई नीको जगति सँसार दिन दिन जावै धँसी बाँवरी किस विध बनै निकार हरिनाम की न बनै उतराई ...

हा हा करत बौराई

हा हा करत बाँवरी बौराई दीखे न चरण नवल श्यामा कौ ,निर्धन दासी अकुलाई धन तो चरण तिहारे स्वामिनी, काहे दासी राखी निर्धन कौन भाँति चरण रज पाऊँ तिहारी ,कंगाल बाँवरी कौ धन हा हा करत ...

बाँवरी न भजन सुहावै

हरिहौं बाँवरी न भजन सुहावै जगति भोग सौं रुचि गाढ़ी भाजी इत उत जावै होवै प्रमाद नाम भजन कौ सदा करै अपनी मनमानी हृदय भरा लोभ भोगन कौ भारी रहै भक्ता रूप दिखानी धिक धिक बाँवरी ऐस...

बाँवरी समय बिगारी

हरिहौं बाँवरी समय बिगारी भोग जगति के लागै नीके हरिभजन लगै अति खारी करै प्रमाद हरिनाम भजन कौ सन्तन कौ कान न देवै बिरथा करै अपनी मनमानी किस विधि हरि कौ सेवै हा हा बाँवरी भोगन ...

सन्त हृदय होय उदारा

सन्त हृदय होय अति उदारा पकरि पकरि अधम जन सारे भव सौं करते पारा कोमल हृदय परम उपकारी वाणी बहै रस धारा सुनि सुनि सकल भव ताप नासै कौन करै बिचारा सन्त समान न तरुवर कोय मीठे फल मीठ...

श्रीगुरु चरण प्रीति

श्रीगुरु चरण प्रीति बिन हरि प्रीति नाँहिं उर आय श्रीगुरु चरण सकल निधि देय भव बन्ध छुड़ाय श्रीगुरु चरण की प्रीति शुद्ध जाके हिय उपजाय कोटिन कोटि जन्म की भक्ति कौ फल सोई पाय श...

सन्तन कौ सँग

हरिहौं देयो सन्तन कौ सँग जिनकी परम कृपा सौं उपजै हिय भक्ति कौ रँग भक्ति कौ रँग जब लागै बाँवरी तबै मीठा लगै हरिनाम हरिनाम ही साँचो धन होय न रहै बिरथा जगति सौं काम हरिहौं सन्त...

राधा प्यारी

राधा प्यारी नवल सुकुमारी करत दृगन सौं बात मदन रस विवश भ्यै मोहन सहत न प्रेम की घात अधर सुरँग रँगे अनियारे झलमल करै नक बेसर कुंदन मणि अलंकृत टीको नवल श्रृंगार रही धर निलाम्ब...

बिरथा चिंता छोर

मनवा बिरथा चिंता छोर कर लेय प्रीति हरि चरण सौं , हरि सौं नाथा जोर काहे हिय भरि राखी बाँवरी बिरथा जगति पसारा हरि कौ नाम ही धन साँचा मूढ़े दिया बिसारा हरि हरि भज पतित बाँवरी हिय भ...

चंचल चित्त रह्यो विषयन लाग

हरिहौं चंचल चित्त रहै विषयन लाग पकरि पकरि राखूं मैं निर्बल पुनि पुनि जावै भाग जन्मन रहै विषयन की प्रीति न हरि सौं भ्यो अनुराग कौन भाँति जड़ता छुटै बाँवरी हिय पावै हरिप्रेम ...

लगै जगति कौ स्वाद

हरिहौं लगै जगति कौ स्वाद नाम भजन की रीति बिसराई बाँवरी बिरथा करै बकवाद हरि भजन सौं चित्त न भीजै नाँहिं हरि की आवै याद नीको लागै मिथ्या देह सुख जामै भरी विष्ठा मवाद

जन्मन मेल भरी

हरिहौं जन्मन मैल भरी छांड भजन की बात बाँवरी जगति फिरै निकरी जन्म जन्म गमाई मूढ़े कबहुँ हरि सौं  चित्त न लाई धिक धिक तेरो जीवन बाँवरी स्वासा स्वास गमाई हा हा नाथ पतित बाँवरी अ...

अधम जन भारी

हरिहौं होऊँ अधम अति भारी गुरु कृपाल पतित अपनाए न बिगरी दशा बीचारी परम धन हरिनाम कौ पाया सन्त गुरु हितकारी जय गुरु जय गौरनिताई रहै बाँवरी चरण रज तिहारी हरिनाम की पूंजी बाढ़ै ...

बरसाना में प्रकटी किशोरी

नित्य लीला करत मेरी भोरी बरसाना में प्रकटी किशोरी श्यामसुंदर सँग मुदित विराजै नित्य नवल जोरि यह साजै श्याम सांवल राधिका गोरी बरसाना में ....... सखी निरख निरख सुख पाऊँ मुख श्या...

भोगन कौ ब्यौहार

हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार जन्म जन्म की बिगरी बाँवरी कछु न भ्यो सुधार हरिनाम भजन की रीति बिसराई नीको जगति सँसार दिन दिन जावै धँसी बाँवरी किस विध बनै निकार हरिनाम की न बनै उतराई ...

कत्ल कर मेरा

कत्ल कर मेरा फिर हाल पूछते हैं जानते हैं जवाब फिर सवाल पूछते हैं हम तो मर चुके उनकी इसी अदा पर क्या है इस बारे वो ख्याल पूछते हैं बस इक नज़र निहार कर हमने क्या जी लिया जाम इश्क़ वा...

मेरे दिल मे रहकर

मेरे दिल मे रहकर मुझसे पर्दा मेरी सरकार करते हैं जाने क्यों ऐसा वो बार बार करते हैं। खामोशियों में आकर छेड़ जाते हैं बात इश्क़ की सम्भले से दिल को जाने क्यों बेकरार करते हैं म...

मोरी स्वामिनी अलबेली

*मोरी स्वामिनी अलबेली* *नवल किशोरी नवल रसीली* *नवल श्रृंगार भामिनी गरबीली* *नवल रसरंग नवल सरसीली* *नवल पुलक नवल सजीली* *नवल चौंप नवल रसकेलि* *नवल प्रियतम नवल रसझेलि*

स्वामिनी कौन भाँति बिसराई

स्वामिनी कौन भाँति बिसराई जैसो कैसो तिहारी स्वामिनी काहे दीन्हीं भुलाई हौं अधम दीन अति पामर बाँवरी कछु बल न पाई हा हा करत लड़ैती मोरी चितवो नाँहिं अधमाई अपनो जन निहारो स्व...

हमको भी जलना है

हमको भी जलना है तेरे इश्क़ की आग में अपना वजूद जलाकर मुस्कुरायेंगे हम हमको मोहब्बत है इश्क़ के अश्कों से सुलगते से हुए चंद अश्क़ बहाएंगे हम हमको भी जलना है..... रह रह कर हूक सी उठती ...

वँशी लीला

श्यामसुन्दर अपनी प्राण प्रियतमा का नाम अपने अधरों पर विराजित वंशी में उतार रहे हैं। हृदय विरह वेदना से ऐसा छेदित सा हुआ है मानो हृदय का सम्पूर्ण आह्लाद ही वंशी में भर भर रव ...

तुम सौं कौन उदार

तुमसौं कौन उदार लड़ैती तुमसौं कौन उदार अधम पतित जन रही अपनाई कीन्हीं नहीं विचार लड़ैती तुमसौं कौन उदार करुणामूर्ति राधे किशोरी करुणाचित्त दयाला रटत नाम तिहारा स्वामिनी स...