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Showing posts from February, 2019

अवगुण की खान

हरिहौं होऊँ अवगुण कौ खान जेई विध करौ चरणन राखो हरिहौं अपनो जान गुण सकल तिहारो नाथा बाँवरी होय अवगुण ढेरी जन्म जन्म गमाई मूढ़ा अबहुँ छूटै नाँहिं मेरी मेरी जेई विध तुम चाहो हर...

इश्क़ की गलियों में

भूल जाएं वजूद अपना तेरे इश्क़ की गलियों में यही आँखें देखे सपना तेरे इश्क़ की गलियों में तेरे इश्क़ की बस्ती साहिब बड़ी दूर बस रही है बड़ा मुश्किल हुआ चलना तेरे इश्क़ की गलियों मे...

अवगुण की खान

हरिहौं होऊँ अवगुण कौ खान जेई विध करौ चरणन राखो हरिहौं अपनो जान गुण सकल तिहारो नाथा बाँवरी होय अवगुण ढेरी जन्म जन्म गमाई मूढ़ा अबहुँ छूटै नाँहिं मेरी मेरी जेई विध तुम चाहो ह...

लौटे हैं

एक और तूफ़ान दिल मे दबा कर लौटे हैं मरे हुए तो मुद्दत से थे लाश उठाकर लौटे हैं खेली है होली हमने अपने ज़िगर के लहू से ही बेरंग सी ज़िन्दगी को एक रँग रँगाकर लौटे हैं जाने क्यों मुझम...

लीला6

*श्रीगौर लीला रस तरंगिणी*           6 *गौरसुन्दर का शयन*       गौरहरि एक बड़े पलँग पर शयन कर रहे हैं। स्वामिनी बिष्णुप्रिया जी उनके कक्ष में विराजमान हैं।संध्या अभी हुई नहीं है...

बाँवरी कन्टक

हरिहौं बाँवरी कन्टक सम होरी कौन भाँति प्रभु सन्मुख आऊँ लाजत करूँ निहोरी लाजत करूँ निहोरी नाथा भोग विषयन के कांटे दिन दिन बढ़त दून सवाया हरिभजन सौं न छाँटे कौन भाँति सन्मुख ...

भक्त नामावली

भक्त साँचे मुकुट मणि हरि हिय को श्रृंगार भक्त नामावली गान ही भक्ति भरै अपार भक्तन की नामावली सुनै जो चित्त लाय भक्त कृपा सौं सहज ही भक्ति बेलि खिल जाय भक्त हिय हरि वास होय भ...

क्यों

दिलों से खेलना तो आदत है तुम्हारी कबसे यूँ खेलना था तो हम से दिल लगाया क्यों जानते हो हम अब नहीं रह सकते तुम बिन यूँ छोड़ना था तो फिर पास ही बुलाया क्यों जानते हो सब गुजरती है क्...

कन्टक सम

हरिहौं बाँवरी कन्टक सम होरी कौन भाँति प्रभु सन्मुख आऊँ लाजत करूँ निहोरी लाजत करूँ निहोरी नाथा भोग विषयन के कांटे दिन दिन बढ़त दून सवाया हरिभजन सौं न छाँटे कौन भाँति सन्मुख ...

भीगी सी पलकों

भीगी सी पलकों से तेरा इंतज़ार करते हैं जाने क्यों इतना बेकरार हमको सरकार करते हैं नहीं सम्भलते यह तूफान ए इश्क़ हमसे सम्भाल लो तुमसे यही दरकार करते हैं मुद्दतें गुज़ार दी हमन...

प्रेम

प्रेम अकारण है कोई कारण नहीं कारण हुआ तो वह प्रेम नहीं प्रेम तो एक उछाल है बस एक तरँग सी बह गई छू गयी निकली कहीं से पिघलाती सी कहीं जाने को व्याकुल आखिर कहां?? प्रेम तक ही प्रेम क...

दसा कबहुँ हॉवे

हरिहौं दसा कबहुँ होवै नाम हरि हरि मुख सौं निकसै नयनन नीरा चोवै गौरा गौर हरि बनै प्राणा नाम रस प्राण बनै करत कमाई नाम की गाढ़ी नाम की तान तनै गौरा गौर हरि जीवन धन बाँवरी अरजा लग...

नाम रस लोभ

हरिहौं देयो नाम रस लोभा जिव्हा सौं हरिनाम उचारु जीवन की जेई सोभा बिरथा कीन्हीं स्वास बथेरी हरिनाम लोभ न पाई बाँवरी मूढ़ा जन्म जन्म लौ रही जगति पाछै धाई अबहुँ पकरि राखो मेरौ ...

पुकार क्रन्दन

पुकार हाँ बस पुकार जान गया यह हृदय सच्चा प्रेम केवल पुकारता है क्या माँग है प्रेम की मिलना तुमसे या तुमको ही बुलाना नहीं नहीं इतनी मलिनता सँग तुमको कहाँ मिलूँ रुको रुको त...

झूठी सी हंसी

झूठी सी हँसी में गम छिपाने की कोशिश की है फिर एक दफ़ा खुद से नज़र चुराने की कोशिश की है कोई देख न ले हाल ए दिल क्या है हमारा भीतर चेहरे पर एक ओर चेहरा लगाने की कोशिश की है बोलकर कहन...

बाँवरी भई कंगाला

हरिहौं बाँवरी भई कंगाला जन्म जन्म सौं नाम न लीन्हीं फिरै जगत जंजाला खावन पीवन की सुधि राखै निशदिन देहा फिरै सजाई भई चमारी बाँवरी हरिहौं कबहुँ हरिनाम लौ न लाई कबहुँ भोग वि...

वेणु माधुरी

*वेणु माधुरी* रस वर्षिणी रस आन्दिनी रस प्रदायनी रस सरसावनी रस सुरसनी वेणु वेणु एक एक रव प्रेम से भरा रस से भरा जितना भर रहा उतना प्यासा करता जैसे कोई समुद्र में भरकर भी प्या...

बहने दो दर्द

आज बहने दो चन्द दर्दों को मेरे लफ्ज़ों में ही रूह तलक यह दर्द ए जुदाई मुझे मालूम न हो साँस चलती है या रुक गयी यह भी समझ न रहे है गिनती जिंदा या मुर्दों में मुझे मालूम न हो कब तलक ज...

दर्द और दवा

दर्द हो मेरा तो मेरी दवा भी तुम हो बेवफ़ाई तो भरी मुझमें पर वफ़ा तुम हो मुद्दतों से न पढ़ सके जिसको हम अब तलक एक छिपा हुआ इश्क़ का फ़लसफ़ा तुम हो न गुनगुना सके जिसको कभी लबों से भी हम आ...

बहने दो दर्द

आज बहने दो चन्द दर्दों को मेरे लफ्ज़ों में ही रूह तलक यह दर्द ए जुदाई मुझे मालूम न हो साँस चलती है या रुक गयी यह भी समझ न रहे है गिनती जिंदा या मुर्दों में मुझे मालूम न हो कब तलक ज...

न लिख पा रहे

न लिख पा रहे न सह पा रहे न खामोश रह सके न कह पा रहे न यह दर्द छूट रहा न छोड़ने की ख्वाहिश जितना दर्द उतना ही मीठा सब तेरे इश्क़ की साज़िश हमने कुबूल कर लिया यह दर्द ए इश्क़ अब देखो न कहन...

न आज हमको पुकारो

न आज हमको पुकारो की मैं नशे में हूँ न बिखरी हुई जुल्फ सँवारो की मैं नशे में हूँ न आज ..... पीकर भी प्यासे रहे हम जाम तेरे इश्क़ वाले यूँ अब चढ़ी न उतारो की मैं नशे में हूँ न आज....... देखा नहीं...

रात सारी

रात सारी अश्कों में गुज़ार दी हमने सच तेरी जिंदगी में कब बहार दी हमने पिये थे जाम कभी हमने तेरे इश्क़ वाले रोते रोते सारी मय ही उतार दी हमने सच तो यह है कोई इल्म नहीं इश्क़ का दिल स...

रहते हैं वो युगल भाव

रहते हैं दिल में वो छिपकर है यह मकान उनका मेरा मुझमें न कुछ रहे है सब सामान उनका न कोई इल्म है हमको की इश्क़ कर पाएं फिर भी जाता नहीं दिल से अब निशाँ उनका रहते हैं........ चाँद और चाँदनी...