घुँघरू अंतिम भाग इस प्रकार श्रीचरणों की नूपुर में जुड़ा घुँघरू अपनी स्वामिनी जु के चरणों मे यही आशा करता है कि युगल नाम युगल प्रेम ही जीवन बने। मुझ निर्बल को बल तुम्हीं किश...
आज की शाम फिर उदास बना गई है मुझे तुझसे दूर होने का एहसास दिला गई है मुझे आज की शाम..... बैठी रही अंधेरों में चिराग तक न जलाए मैंने यह दिल की लगी ही अब जला गई है मुझे आज की शाम..... तेरी य...
*तेरी पुकार* प्रियतम श्यामसुंदर ने फिर से अपना वेणु नाद छेड़ दिया है।आज यह नाद एक एक रव के साथ प्रियतम हृदय की लालसा तो भर ही रह है , परन्तु आज एक एक रव प्राणों को पोषित कर रहा जैस...
*तेरी पुकार* प्रियतम श्यामसुंदर ने फिर से अपना वेणु नाद छेड़ दिया है।आज यह नाद एक एक रव के साथ प्रियतम हृदय की लालसा तो भर ही रह है , परन्तु आज एक एक रव प्राणों को पोषित कर रहा जैस...
कितना यह दिल जला है सब दिल की लगी से पूछो पूछो आंखों की बरसातों से रातों को जगी से पूछो ले लेकर नाम तेरा उठती हैं कितनी आहें यहां दिल की लगी क्या होती इस दिल्लगी से पूछो कटती ह...
इंतज़ार में उनके मुद्दत से हम वहीं रहे आएंगे वो यकीन है ये बात ही दिल कहे बेचैनी सी पलपल की अब कहो कैसे सहें जब तलक न दीदार हो नज़र भी प्यासी रहे इंतज़ार क्या होता है कोई मेरे दिल ...
क्षण क्षणकी प्यास क्षण क्षण का सिसकना तेरा नाम ले लेकर रोना कभी छवि को निहारना बस तेरी राह बुहारना तुझसे दिन भर का बतियाना कभी हँसना और कभी इठलाना कभी तेरी छवि निहार निहार ...
यह न होश है न ही बेखुदी तेरे इश्क़ की है दीवानगी पीकर तेरे मयखाने से थोड़ी मुझे मिल गयी थोड़ी जिंदगी जहां तुम न होकर भी मिले मैं होकर भी कुछ गुम सी थी बस नशा था तेरी सांसों का कुछ आ...
*चेतना की असीमित तृषा* तुम देह नहीं हो। देह तो मात्र एक आवरण है , यह आवरण जन्म जन्म बदले तुम। तुम चैतन्य हो, एक चेतना हो । छूटी हुई उस परम चैतन्य से। उसी का एक कण मात्र। जन्म जन्म म...
उनका नाम लिखते लिखते आंखों में अश्क़ आ गए कितनी मोहबत है उनको भी मेरे अश्क़ ही बता गए उनसे बेगाने होकर हम उनको ही ढूंढते रहे दिल में आशियाना उनका है दिल मे ही समा गए उनका नाम लि...
हरिहौ कबहुँ होय भोगन छुटकारा कबहुँ हिय प्रेम रस उमगै छूटे भोग पसारा बाँवरी जन्म गयौ खोटो कीन्हीं नाय बिचारा नाम भजन की नाव बिनहुँ होय न भव सों पारा भोग विष्ठा कूकरी सम पाव...
मन के सूने आँगन में मधुर प्रेम की खनकार कहाँ शुष्क मरुभूमि सा तप्त है रस की बौछार कहाँ सन्नाटा है मौन सा इक है कोई नवल त्यौहार कहाँ विरहणी सा मन व्याकुल है कोई नवल श्रृंगार क...
तुमसे इश्क़ होना भी इक मीठा से कत्ल हो गया तुम रहते तो सुकून है मेरे होने की वजह क्या है तुम थे तो जिंदगी थी सुकून था साँसे थी मेरे होने का बोझ ही न उठाती साँसे मेरी बस परेशान हु ...
तुमसे बिछड़ क्या हाल मेरा यह दिल जाने या अश्क़ मेरे तस्वीर से न है सुकून मुझे यह दिल जाने या अश्क़ मेरे क्या लिखेगी कलम दर्द रूह के भी यह कलम को भी इल्म नहीं ज़ख्मों से खून जो रिसत...
आज तेरे इश्क़ में हम ऐसे चूर हैं तुम ही तुम घुल रहे ऐसा सुरूर है मौसम ए इश्क़ में महबूब की सांसें जो कयामत ढा गई की जुबान खामोश है आज तो हवाओं में कुछ अजीब बात है तेरी इक याद ही प्य...
तुम्हारी सांसों से उठती खुशबू बिखरी मेरी सांसों में मदहोशी का आलम है कि तुम में ही गुम हो गए हम आज सांसों को बिखरने की इजाजत न देना मेरे महबूब की खुशबू पिला रही मुझको इश्क़ का ...
भाँति भाँति के ढोंग रचावे भाँति भाँति के भोग करे बाँवरी तू जन्मन की खोटी कबहुँ न युगल चरण परे न कोऊ प्रेम होवै तेरौ हिय कठोर होय पाषाण समान भोग वासना कूकरी विष्ठा भरयो मदमत...
दीनन को झूठो स्वांग रचायो हिय रह्यौ मदमत्सर कर्कश वाणी होय सम कागा न मधुर कोकिल स्वर जगत की विष्ठा ऐसो भावै न राखे हरिनाम अधर कौन सों मुख ते कहिहौ आय मिलो मोहे मनहर जो होतो प...
कैसो पावै कोऊ गोविंद मन विषयन रस पागे भोग जगत के हिय बसावै नाम सुमिरन ते भागे कबहुँ हिय हरि रस आवै हाय भोगी जीव अभागे नाम रस की वर्षा होवै हिय प्रेम सुधा उमागे चोरी करो पूरी म...