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Showing posts from December, 2017

निर्मोही प्राण

हाय रे निर्मोही भये प्राण पिय सों बिछुरे गयो न देह सों काहे रखाये प्राण नेह न लाग्यो साँचो तुमसों नहीं तो रहत न प्राण जो होतो कण भी नेह साँचो शेष न रहते मोरे प्राण अग्न न दग्ध...

झूठो नेह

झूठो हाय झूठो किया पिय सों नेह नेह जो होतो साँचो थोरा बिछुरत न रहती देह जान गई हिय प्रेम कण नाँहिं कोऊ नाय सन्देह बाँवरी हिय राख्यो पाथर को टूटत नाय जेह प्रेम पथ छुवत न कण को ...

प्राणधन हिय करे प्रलाप

प्राणधन हिय करे विरह प्रलाप पीर जरे न हिय क्षण को भारी विरह को ताप काहे दूर कियौ मोहे रमणा रख लीजौ आप बाँवरी बिरहन करत रह्यौ पिय प्राणधन जाप भर लीजौ प्रेमालिंगन प्राणधन मि...

कौन वस्त को हिय

जाने लग्यो कौन वस्त को हिय पाथर भी होतो घस जातो नाम रटत जब पिय कौन धात को बनो हिय मेरो हाय ऐसो भयो कठोर बिछुरत पिय सो प्राण रह्यौ शेष और करे यह ठौर हाय तबहुँ न राख्यो प्राणधन ब...

पूरी चोरी

मनहर तुम पुरो करो मेरी चोरी आधी अधूरी जगत न डोलूँ सुन लो पिय निहोरी आधी अधूरी तुम सँग हो ली आधी जगत पसारा इत जाऊँ कबहुँ उत जाऊँ पावै नाँहिं हिय पारा जन्म की करे बाँवरी प्रतीक...

प्रेम प्रलाप

प्रेम प्रलाप हिय संताप याहि प्रेम को धन मन अंतर की पीड़ा चाखै प्राणधन करे रमण पीड़ा प्रेम की अति मीठी पुनि पुनि हिय सरसावै भस्म करे सब उर अंतर सों हिय प्राणधन लावै प्राणधन मो...

पीर चाह्वे

ऐसो पीर हिय मेरो चाह्वे क्षण क्षण को अकुलाय पिय पिय टेरत होऊँ बाँवरी पिय नाम ही भाय पिय बिन खारा सब लागै कबहुँ ऐसो होय सुभाय पीर प्रेम की बाँवरी उर अंतर ऐसो दियौ जगाय जितनो च...

विरह पीर री

जब ते गयौ श्याम सखी अंग अंग व्याकुल भयो एकहुँ क्षण ते विराम होय नाय री प्रेम नेम नाय जानूँ बतियाँ वाकी याद मोहे पीर भारी हिय ते क्षण नाय जाय री खान पीन सुधि नाय विरहणी बाँवरी ...

जेइ देस बसे प्रियतम

जेइ देस प्रीतम बसे सोई देस रह जाऊँ बाँवरी होय पिय पिय बोलूँ हिय पिय बसाऊँ बिरहन को कछु भावे नाँहिं देह कैसो रखाऊँ आस मिलन की न हिय होवै क्षण भी प्राण न पाऊँ आवो मोहना पीर उठे ...

आमंत्रण

*आमंत्रण* प्रियतम रसराज रसिक शेखर ने अपना वेणु नाद छेड़ दिया है। प्रियतम के हृदय की रस तृषाएँ, रस लालसाएं । आह !! वेणु रव में पिरो दी हों जैसे। अधरसुधा का वह आमंत्रण !! स्वतः ही प्य...

तुम हो

यह घुलता सा नशा तुम हो जो इस दिल ने कहा तुम हो नज़र गई है जहाँ तुम हो फूलों में खुशबू से तुम हो बादल से बरसते पल पल तुम हो इश्क़ का इक समंदर तुम हो बस अब बाहर अंदर तुम हो सांसों की व...

शौक़ तेरा मेरा

दिल जला सा है बहुत आज फिर मेरा क्यों खेलने का शौक़ हो गया तुमको क्या तुमसे इश्क़ करना ही खता मेरी है पर दिल तोड़ने का शौक़ हो गया तुमको पगलाई सी मैं ढूंढती रही परछाई तेरी पर अब छिप...

मधुराधिपति अखिलं मधुरम

*मधुरातिमधुर अखिलं मधुरम* मधुरातिमधुर कौन , जिनका सम्पूर्णत्व ही मधुरता है। माधुर्यसार अखिलेश्वर रसराज रसिक शेखर , जिनकी मधुरता है , श्रीराधा श्रीराधा श्रीराधा । आह यह ना...

नाम हरि का भज

नाम हरि का भज रे मनवा झूठा जगत पसारा हरिनाम ही धन तेरा सच्चा काहे फिरे बिसारा माया का लोभी तू बन्दे माया ने भरमाया हरि नाथ तेरे हरि सखा रे जन्मों रहे भुलाया इत उत डोले लोभी बन...

रसिकन को सिरमौर

रसिकन को सिरमौर निताई रसिकन को सिरमौर दोऊ हाथ उठाये गावै गौर गौर हरि गौर नाम रस ऐसो हिय उमगावै दियो मस्त बनाई दोऊ हाथ उठाय झूमत रह्यौ प्रेम मग्न निताई कबहुँ प्रेम मग्न होय ...

रसिकन की चरण रज

रसिकन की चरण रज नित्य नित्य सीस धरइयै श्यामाश्याम युगल नाम सों ही प्रीत रँगीली पइयै प्रीत रँगीली हिय उमगावै आपहुँ जग बिसरइयै षडरस न भावै क्षण को रस लोभी होय जइयै जगत को रस ...

कौर कौर जूठन

कौर कौर दीजौ जूठन को प्रेम सुधा की आसा रसिकन चरण विनय करे बाँवरी धाम को दीजौ वासा युगल चरण को सेवा मिले नित हिय रहे नित प्यासा ऐसो प्रेम रस हिय उमगावै हिय गावै नित प्रेम की भा...

रसिकन की जूठन

रसिकन की जूठन मिले कौर कौर नित खाऊँ रसिक चरणन माँहिं नित्य नित्य डोलूँ हरिनाम रस पाऊँ हरि गुरु नेह बढ़त रहे निशदिन युगलनाम रति पाऊँ कृपा कीजौ बाँवरी दासी पर नाम कृपा नित चा...

जानू तोरी झूठी बतियाँ

जानू तोरी झूठी बतियाँ मान कियो न राधा तोसे बैठी बहावे अखियाँ व्याकुल हिय रह्यौ भारी पूछे सारी सखियाँ झूठी बात बनावै मोहन न अब भेजूँ पतियाँ कबहुँ मान करूँ पिया तोसे रोवत स...

हाय पिया झूठो बनाई बात

हाय पिय झूठो बनाई बात मोसे कहे मोहे बिसराय सखियन सों बतियात तू मोहे प्रेम न कीन्हीं रही सखियन सँग नचात हाय विधना जे देह मेरो छुटे कीजौ ऐसो घात पिया बिसराये बाँवरी दुख पावै ...

प्यारे प्यारे

श्याम श्याम श्याम ..........आह!! कितना पुकारूँ तोहे। श्यामसुंदर सच तुम्हारा नाम भी तो तुमसा मधुर ही है। मधुर्य झरे एक एक नाम सों । जब तोहे पुकारूँ प्यारे प्यारे प्यारे ......हाय क्या कह...

रसिक युगल्वर

*रसिक युगलवर* आहा!!ये रसिक युगल का नाम ही ऐसो अमृत होय , कोऊ सुने तो लगे कर्णपुट ते रस ही जाय रह्यौ भीतर । रस ही घुल रह्यौ। नाम ही ऐसो रसीलो होय , रस को बून्द बून्द जाय रह्यौ भीतर। कब...

हरिनामोन्माद

*हरिनामोन्माद* कलियुग में श्रीहरिनाम संकीर्तन यज्ञ द्वारा जीव को भगवत प्रेम सुलभ करवाने वाले श्रीमन चैतन्य महाप्रभु जी की जय हो! निर्मल भक्ति निर्मल हृदय में ही वास करती ...

काहे रखिये प्राण

पिय बिन काहे रखिये प्रान स्वास स्वास पिय नाम टेरत रहूँ तड़पत मीन समान भूलत फिरत सुधि बाँवरी अबहुँ पिय सों कीजौ मान देह सुधि बिसराय रह्यौ विरहणी खान पीन को भान पीर उठे हिय अं...

हरिनाम में अनुराग

*श्रीहरिनाम में अनुराग* हे दयासिन्धु ! हे करुणाकर! गौरहरि आपने नाम संकीर्तन प्रकट हर हम अधम जीवों हेतु भगवत प्राप्ति को अति सहज कर दिया है। आपकी भक्त परायणता ,आपकी करुणा ,आपक...