हाय रे निर्मोही भये प्राण पिय सों बिछुरे गयो न देह सों काहे रखाये प्राण नेह न लाग्यो साँचो तुमसों नहीं तो रहत न प्राण जो होतो कण भी नेह साँचो शेष न रहते मोरे प्राण अग्न न दग्ध...
झूठो हाय झूठो किया पिय सों नेह नेह जो होतो साँचो थोरा बिछुरत न रहती देह जान गई हिय प्रेम कण नाँहिं कोऊ नाय सन्देह बाँवरी हिय राख्यो पाथर को टूटत नाय जेह प्रेम पथ छुवत न कण को ...
प्राणधन हिय करे विरह प्रलाप पीर जरे न हिय क्षण को भारी विरह को ताप काहे दूर कियौ मोहे रमणा रख लीजौ आप बाँवरी बिरहन करत रह्यौ पिय प्राणधन जाप भर लीजौ प्रेमालिंगन प्राणधन मि...
जाने लग्यो कौन वस्त को हिय पाथर भी होतो घस जातो नाम रटत जब पिय कौन धात को बनो हिय मेरो हाय ऐसो भयो कठोर बिछुरत पिय सो प्राण रह्यौ शेष और करे यह ठौर हाय तबहुँ न राख्यो प्राणधन ब...
मनहर तुम पुरो करो मेरी चोरी आधी अधूरी जगत न डोलूँ सुन लो पिय निहोरी आधी अधूरी तुम सँग हो ली आधी जगत पसारा इत जाऊँ कबहुँ उत जाऊँ पावै नाँहिं हिय पारा जन्म की करे बाँवरी प्रतीक...
प्रेम प्रलाप हिय संताप याहि प्रेम को धन मन अंतर की पीड़ा चाखै प्राणधन करे रमण पीड़ा प्रेम की अति मीठी पुनि पुनि हिय सरसावै भस्म करे सब उर अंतर सों हिय प्राणधन लावै प्राणधन मो...
जब ते गयौ श्याम सखी अंग अंग व्याकुल भयो एकहुँ क्षण ते विराम होय नाय री प्रेम नेम नाय जानूँ बतियाँ वाकी याद मोहे पीर भारी हिय ते क्षण नाय जाय री खान पीन सुधि नाय विरहणी बाँवरी ...
*आमंत्रण* प्रियतम रसराज रसिक शेखर ने अपना वेणु नाद छेड़ दिया है। प्रियतम के हृदय की रस तृषाएँ, रस लालसाएं । आह !! वेणु रव में पिरो दी हों जैसे। अधरसुधा का वह आमंत्रण !! स्वतः ही प्य...
यह घुलता सा नशा तुम हो जो इस दिल ने कहा तुम हो नज़र गई है जहाँ तुम हो फूलों में खुशबू से तुम हो बादल से बरसते पल पल तुम हो इश्क़ का इक समंदर तुम हो बस अब बाहर अंदर तुम हो सांसों की व...
दिल जला सा है बहुत आज फिर मेरा क्यों खेलने का शौक़ हो गया तुमको क्या तुमसे इश्क़ करना ही खता मेरी है पर दिल तोड़ने का शौक़ हो गया तुमको पगलाई सी मैं ढूंढती रही परछाई तेरी पर अब छिप...
नाम हरि का भज रे मनवा झूठा जगत पसारा हरिनाम ही धन तेरा सच्चा काहे फिरे बिसारा माया का लोभी तू बन्दे माया ने भरमाया हरि नाथ तेरे हरि सखा रे जन्मों रहे भुलाया इत उत डोले लोभी बन...
रसिकन की चरण रज नित्य नित्य सीस धरइयै श्यामाश्याम युगल नाम सों ही प्रीत रँगीली पइयै प्रीत रँगीली हिय उमगावै आपहुँ जग बिसरइयै षडरस न भावै क्षण को रस लोभी होय जइयै जगत को रस ...
कौर कौर दीजौ जूठन को प्रेम सुधा की आसा रसिकन चरण विनय करे बाँवरी धाम को दीजौ वासा युगल चरण को सेवा मिले नित हिय रहे नित प्यासा ऐसो प्रेम रस हिय उमगावै हिय गावै नित प्रेम की भा...
हाय पिय झूठो बनाई बात मोसे कहे मोहे बिसराय सखियन सों बतियात तू मोहे प्रेम न कीन्हीं रही सखियन सँग नचात हाय विधना जे देह मेरो छुटे कीजौ ऐसो घात पिया बिसराये बाँवरी दुख पावै ...
श्याम श्याम श्याम ..........आह!! कितना पुकारूँ तोहे। श्यामसुंदर सच तुम्हारा नाम भी तो तुमसा मधुर ही है। मधुर्य झरे एक एक नाम सों । जब तोहे पुकारूँ प्यारे प्यारे प्यारे ......हाय क्या कह...
*रसिक युगलवर* आहा!!ये रसिक युगल का नाम ही ऐसो अमृत होय , कोऊ सुने तो लगे कर्णपुट ते रस ही जाय रह्यौ भीतर । रस ही घुल रह्यौ। नाम ही ऐसो रसीलो होय , रस को बून्द बून्द जाय रह्यौ भीतर। कब...
*हरिनामोन्माद* कलियुग में श्रीहरिनाम संकीर्तन यज्ञ द्वारा जीव को भगवत प्रेम सुलभ करवाने वाले श्रीमन चैतन्य महाप्रभु जी की जय हो! निर्मल भक्ति निर्मल हृदय में ही वास करती ...
*श्रीहरिनाम में अनुराग* हे दयासिन्धु ! हे करुणाकर! गौरहरि आपने नाम संकीर्तन प्रकट हर हम अधम जीवों हेतु भगवत प्राप्ति को अति सहज कर दिया है। आपकी भक्त परायणता ,आपकी करुणा ,आपक...