सुन लो
सुन लो
तेरे हिस्से में सारा इश्क़ मेरे हिस्से बेवफाई आई
जानती हूँ तेरे ही अश्क बहते हैं मेरी आँखों से
एक एक अश्क में कैसे इतनी तरावट आई
क्यों चलती हैं मेरी साँसे बिना पुकारे तुझे
सुनते हैं कि इश्क़ में इक साँस न खाली आई
सुना है इश्क़ में बाकी वजूद नहीं रहता कोई
आईने में क्यों मुझे नज़र मेरी तस्वीर आई
नहीं नहीं नहीं अब तलक कोई इश्क़ हुआ मुझको
अब तलक नहीं इस रूह पर इश्क़ की बेचैनी छाई
अब बरस जाओ इस बंजर सी जमीं पर बादल होकर
सुलगते से इन जख्मों की बन जाओ तुम्हीं दवाई
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