तुम क्यों हो

तुम क्यों हो...

यह जो बेचैनी सी छाई है रूह पर मेरी
चलो बताओ कि इतने बेचैन तुम क्यों हो

कहाँ चली गई हैं नींदें मेरी आँखों की
चलो बताओ कि इतना जागते तुम क्यों हो

मैं तो खामोश सी रही हूँ बड़ी मुद्दत से
चलो बताओ मेरी कलम से लिखते तुम क्यों हो

है तो ज़हर से भी कड़वा मिज़ाज मेरा
चलो बताओ इतना मीठा बोलते तुम क्यों हो

सच है नहीं काबिल थी इश्क़ के मैं कभी
चलो बताओ मुझसे इतना इश्क़ करते तुम क्यों हो

कहाँ जाकर मुक्कमल होगी यह तलाश मेरी
चलो बताओ मेरे ही दिल में छुपते तुम क्यों हो

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