चाहती हूँ तुमसे
चाहती हूँ तुमसे...
थोड़ा सा दर्द कुछ अश्क दे दो मुझे
आज जीने का बहाना चाहती हूँ तुमसे
मरना आसान है मुश्किल है जिंदा रहना
चन्द सांसों की मोहलत चाहती हूँ तुमसे
दे दो रिसते हुए से थोड़े ज़ख्म तोहफ़ा
सिसकियों का नज़राना चाहती हूँ तुमसे
कर दो इतना खाली कि भीतर तुम ही रहो
रूह के मालिक रहो इतना चाहती हूँ तुमसे
हूँ कुछ बेचैन सी पर मुझको न थोड़ा चैन मिले
यही इश्क़ की बेचैनियां चाहती हूँ तुमसे
न देना मौत बस सुलगती सी ज़िन्दगी देना
नहीं दवा बस सिर्फ दर्द ही चाहती हूँ तुमसे
कतरा कतरा मेरे लहू का बस पुकारे तुम्हें
मेरी खामोशी भी पुकारे इतना चाहती हूँ तुमसे
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