आज भी....

 आज भी....

आज भी रात जाएगी बस आँखों में
रो रहा है दिल पर इन आँखों में कोई अश्क नहीं

 बह रहे थे जो मुद्दत से मेरी आँखों से
आज मेरे अश्क़ भी छोड़कर गए मुझको

 न तो ज़िन्दा हूँ न अब तलक मौत आई
न तुम मिले न तुमसे मिलने की उम्मीद गई

माना काबिल नहीं हूँ साहिब इश्क़ के अब तलक
इश्क़ तुम हो हमने यह बात चलाई ही नहीं

जाने क्या उतर रहा है आज इन लफ़्ज़ों में
अपनी बातें यूँ खुलेआम लिखाया न करो

चलो नहीं माँगती तुमसे इन बेचैनियों का हिसाब
हो दवा तुम ही तुमसे से तुमको नहीं मांगा मैंने

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