झूठ भी झूठा

झूठ भी झूठा

प्रेम हैं वो 
बस प्रेम
प्रेम ही जानते हैं
प्रेम बिना कुछ समझते नहीं

झूठे से भी कह दो न
तुमसे प्रेम है
झूठे से भी कहदो
वो सच मान लेते हैं
झूठ भी पूरा झूठ ही हो तब

पूतना ने कहा न झूठा सा
अभिनय किया एक
माँ का अभिनय
झूठा अभिनय
सच लगा उनको
हाँ
पूरा पूरा सच लगा
माँ ही कहा
माँ ही माना

झूठ था वो
पूरा ही झूठ था
पर उस झूठ में प्राण थे
प्राणों की बाजी थी
प्राण हरने थे
पर हरण हुआ
प्राणों का
न न 
हरण हुआ झूठ का
उसके प्राणों को तो प्रेम से भरा
जो अभिनय था
उसे सत्य किया

यहाँ झूठा सा झूठ भी नहीं
सच है
यह झूठ भी होता
यहाँ प्राण न लगे अभी
अभिनय तो हुआ
पर उस अभिनय में भी प्राण नहीं
प्रेम
प्रेम तो दूर की बात
अभी हमारा झूठ भी झूठा है
झूठ भी झूठा......

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