कृष्ण लीला रहे हिय समाई
कृष्णलीला हिय रहै समाई
राधाभाव कृष्ण कु भाई
हिय सों कृष्ण राधाभाव चाह्वे
कैसो नेह राधा हिय समावै
राधाभाव कु करन आस्वादन
कृष्ण आये रूप गौर बन
राधाभाव राधाहिय राधाकांति
कृष्ण पुकारे विरहणी राधा भाँति
कारण बनायो कृष्णनाम प्रचार
कृष्ण धरायो श्रीगौर अवतार
भक्ति बड़ो दुर्लभ होय कलिकाला
हरि दियो मार्ग सहज कृपाला
महामन्त्र को दियो जगत दान
युगल भक्ति प्रेम रस खान
शिव यही गौर दरश जब पावै
गौर गौर कहे नाच दिखावै
पूछे गौरी कौन हिय पायो नाथा
गौर कथा की कह्यो सब बाता
कलियुग नाम भक्ति को धारा
गौरहरि सहज कियौ जन भारा
गौर कृष्ण युगल भेद न कोय
एको राम कृष्ण गौर होय
षड्भुज रूप गौर हरि धारयो
राम कृष्ण कलिगौर अवतारयो
गौर कृष्ण कोऊ भेद न होय
जाने सोई हरि जनाय जोय
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