हे पतित पावन गौरहरी

हे पतित पावन गौर हरि हम पतितों का उद्धार करो
हो दीन अधमों की ठौर तुमहीं नाम करुणाकर साकार करो

कृपा करो करुणेश हरि जन्मों की जड़ता कट जाए
मन हट जाए विषय विकारों से जिव्हा हरि हर गाए
न भटकें हम भव सिंधु में देकर भक्ति भव पार करो
हे पतित पावन ......

जन्मों से पतित हैं नाथ बड़े हम मलिनों के त्रिताप हरो
बहे हरिनाम रसधार सदा ऐसी करुणा हरि आप करो
मन भीजा रहे सदा हरि रस में तुम नाम रूप अवतार धरो
हे पतित पावन ...... 

जन्मों की पीड़ा हरो भगवन मुझ निर्बल का तुम्हीं बल हो
राखो अब ही निज चरणन में जीवन भंगुर यदि न कल हो
भक्ति देकर निज चरणों की मानव जीवन का सार करो
हे पतित पावन गौर हरि हम पतितों का उद्धार करो
हो दीन अधमों की ठौर तुमहीं नाम करुणाकर साकार करो

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