रसिकन कौ सिरमौर
रसिकन को सिरमौर निताई रसिकन को सिरमौर
दोऊ हाथ उठाये गावै गौर गौर हरि गौर
नाम रस ऐसो हिय उमगावै दियो मस्त बनाई
दोऊ हाथ उठाय झूमत रह्यौ प्रेम मग्न निताई
कबहुँ प्रेम मग्न होय डोले कबहुँ बहावै नीर
हा हा गौर कह इत उत डोले हिय उठे प्रेम की पीर
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