हित हरिवंश निताई गौर

हित हरिवंश निताई गौर
जयजय रसिकन को सिरमौर

जयजय वल्लभ श्रीहरिदास
हिय वृन्दावन कीजौ वास

नाम एक ही युगल एक रस
नाम भजे हिय होवै सरस्

सब रसिकन की कृपा मनाऊँ
मुख से श्यामाश्याम नित गाऊँ

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