सरकार आएँगे
हम आँखें बिछाकर बैठे हैं ,इक दिन सरकार आएंगें
नहीं बल कोई मेरे जप तप में , पर सुनकर पुकार आएँगे
केवट को पार लगाने को , बेर शबरी के जूठे खाने को
जो आप प्रेम के भूखे हैं , धर प्रेम अवतार आएँगे
हम आँखें .......
मन माखन नित्य चुराने को , अबला की लाज बचाने को
जिस भाव से कोई भजे उन्हें , फिर वही रूप धार
आएँगे
हम आँखें .........
गोपी प्रेम से उन्हें नचाती है , भर भर कर छाँछ पिलाती है
छोड़ भोग पदार्थ स्वर्ग के भी, तन्दुल करने स्वीकार आएँगे
हम आँखें .........
सच यह है हमने पुकारा नहीं , हरिनाम में हरि को स्वीकारा नहीं
कहे बाँवरी भज हरिनाम सदा , हरि करने उद्धार आएँगे
हम आँखें बिछाकर बैठे हैं , इक दिन सरकार आएँगे
नहीं बल कोई मेरे जप तप में , पर सुनकर पुकार आएँगे
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