वृन्दावन रज
वृन्दावन की रज की महिमा बड़ी अपार !
या रज शिव ब्रह्मा राचत गोपी करे बुहार !!
कृपा बड़ी होवै ब्रजरज की देवे प्रेम साकार !
एको मन्त्र तंत्र होवै ब्रज को राधा नाम आधार !!
बाँवरी कहे नाम एको साँचो जप रे बारम्बार !
राधा नाम की रटन लगा ले हिय धर राधा चरणार !!
राधे राधे राधे राधे राधे........
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