विरह पद (पंजाबी)

एना अखियाँ नूँ कोई वल्ल नहीं , किवें हुस्न तेरे दी दीद होवै
तैथों बिछड़े कई युग बीत गए , तू आन मिलें तां ईद होवै
मेरे प्रीतम मेरे बस दी नहीं , दस्स दिल दीयां सधरां किंझ लाहवाँ
ना होर तड़पा हुण श्याम मेरे , तेरे लई रौंदी मर जावाँ

हुण आजा मिलजा शाम वे सुण दासी दी अरजोई
तेरे दीदार लई साह बचे , मेनू होर लोड़ न कोई
मेरे प्यारे तेरा सिंगार करां तू प्यारी नाल कद आवेंगा
अखां रो रो मेरियाँ हार गईयाँ कद रूह दी प्यास बुझावेंगा

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