स्वास स्वास

स्वास स्वास पियु पियु रटे
दृग जल माँहिं पिया छव देखूँ क्षणहुँ ध्यान न हटे
मूक होऊँ कछु मुख सों कहूँ ना स्वास से तोहे पुकारूँ
अबहुँ आवै मेरो मनहर प्रियतम हिय सों नाम उचारूं
बिधना काहे मोहे दियो स्वास पिय बिन मैं अकुलाउँ भारी
अबहुँ नाथ मोहे रख लीजौ बाँवरी बिनमोल दासी तिहारी

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