आवो मोहना

आवो मोहना दासी तेरी कबसों बाट निहारे
तन मन प्राण विकल भये रोवत नयन हमारे
कोऊ विध होय मिलन को बाँवरी करे विचारे
और ठौर हम जानत नाँहिं पड़ी तिहारे द्वारे
आस लगी तोसों नन्दनन्दन लीजौ आप निकारे
बाँवरी बैठी नयन भिगोये नित तोहे श्याम पुकारे

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून