बहुत दिनन ते
बहुत दिनन ते ढोंग रचायो बहुत मैं भक्ति कीन्हीं
साची बात हरि आपहुँ जानो मैं एकहुँ नाम ना लीन्हीं
मान प्रतिष्ठा अति प्यारी लागे मोहे ऐसो मति होय
बाँवरी तेरो झूठ तू ही जाने कैसो पतित अधम तू होय
जीवन व्यर्थ गमाय दियो रसना सों हरिनाम न गावै
जगत विषय अति प्यारे लागे क्षण क्षण हिय जगत रमावै
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