मोसों कपटी

मोसों कपटी कैसो जाने कैसो प्रेम की भाषा
विषयन माँहिं रमण करे हिय विषयन की अभिलाषा
युगल चरणन माँहिं नेह न उपज्यो नाँहिं मुख हरिनाम
जगत में लौटत रहे तू बाँवरी जगत को दीजौ दाम
कबहुँ हिय तेरौ प्रेम रस होवै हिय तेरो पाषाण रहेगो
कबहुँ रसना युगल नाम उचारै श्यामाश्याम होयगो

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