झूठो प्रेम

जो होतो प्रेम मेरो साँचो तुम बिन स्वास न निकसत
मिलन चटपटी ऐसो होती ज्यूँ जल बिन मीन की दस
झूठो सो नेह होय मेरो नाँहिं साँची प्रेम पिपासा
जगत विषय अति भावै मोहे नाँहिं जगे तेरौ अभिलाषा
झूठ को ही नेह लगायो हाँ मोहना मैं सबसों अधम होऊँ
प्रेम विहीना रहे बाँवरी ना तोसों मिलन की बात कहूँ

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