तेरे बिना

तेरे बिना अश्कों की बरसातें हैं यहाँ
दिल याद करता है बस तेरी बातें हैं यहाँ

इक हूक सी उठती है दिल देती है जो चीर
गम और दर्द की इस दिल से मुलाकातें हैं यहाँ
तेरे बिना ......

जी लेंगें हम यूँ ही अश्कों को पीते हुए सनम
गम के स्याह बादल हैं सब काली रातें हैं यहाँ
तेरे बिना......

खामोश ही रह लेंगें हम न किसी से हाल कहेंगें
मर ही चुके हैं कबसे हम कब जी पाते हैं यहाँ
तेरे बिना ....

हमको कुबूल है यूँ ही घुट घुट कर सिसकना
जख्मों का नशा हो चुका कहाँ हँस पाते हैं यहाँ
तेरे बिना......

लफ़्ज़ों में क्या लिखेंगें हम गम के फसानों को
दिल की कलम है और अश्कों की दवातें हैं यहाँ
तेरे बिना ...........

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