चेतना का भजन

चेतना का भजन

प्रत्येक चेतना उस चैतन्यता की ही नित्य बिन्दु है,प्रत्येक चेतना का नित्य चैतन्य में रमण ही नित्यानन्द है, यही चेतना का भजन है, नित्यानन्दित होना । नित्यानन्द के स्पर्श से ही चेतना उस परम चैतन्यता में रमण करती है। यही क्षण क्षण का नित्यानन्दित रमण ही चेतना का नित्य स्वरूप है।

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