कहानी
आज मेरे लफ़्ज़ भी मेरी कहानी मुक़्क़मल न कर पाएंगे
जैसे अधूरी सी है यह ज़िन्दगी भी मेरी बगैर तेरे
उठ रहे हैं बड़े बड़े तूफ़ान आज दिल घर इस समन्द्र में
पर मेरे अश्कों का समन्द्र भी मुझे डुबो न सका
वादा किया था उसने मुझे इक रोज़ मिलने का
बस उसी इकरार पर यह चंद सांसे हरकतें करती बड़े
आज करदो ख़ामोश तुम्ही उठते इन तूफानो को
मुझसे मेरी साँसो का बोझ अब नहीं उठाया जाता
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