भोगन की गठरी

हरिहौं भोगन की होय गठरी
स्वासा स्वास गमाई बाँवरी पतिता मूढ़ निपट री
पतिता जन्म जन्म की बाँवरी पापन बोझा ढोवै
समय गमाय दई स्वासा स्वासा मूढ़ा पाछै रोवै
कौन भाँति दसा सुधरे मूढ़े तेरी कौन भाँति सुधार होय
नाम की नौका चढ़े न बाँवरी किस भाँति भव सौं पार होय

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