सब भाँति अयोगा

हरिहौं हम सब भाँति अयोगा
पतितन कौ सिरमौर होऊँ नाथा रमै विषयन भोगा
कौन भाँति हरिनाम चित्त लागै छूटे भव कौ रोगा
जन्मन जन्म गमाई बाँवरी नेकहुँ हिय न उपजै सोगा
हिय कौ कपट छिपावै जग सौं पहिरे भक्तन चोगा

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