कृपा कीजौ५४

दाग छुड़ाय दीजो चुनरिया सों जन्म जन्म की मैल होय
हरिनाम सों घस घस धोवै इस जन्मा वृन्दावन की गैल होय
जन्म जन्म ते मोरी चुनरी बिगड़ी रँग बदरंग होय गयो भारी
कौन विधि मैं सजउँ सुहागिन पिय पाय बिना मैं जन्म बिगारी
घुल घुल जाऊँ विरथा की मारी बाँवरी अबके मोरी चुनरी रँग डारो
रँग बदरंग तुम्हीं सब जानो पिय जिस रँग चाहो जी आप सँवारो

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