जय गुरुदेव ५५

दृग्जल से अभिषेक करूँ निशदिन श्रद्धा पुष्प चढ़ाऊँ ।
जय गुरुदेव निज चरण रज कीजौ यही वर निशदिन चाहूँ ।।
नाम भजन का धन बाढ़े निशदिन साँचो धन ही पाऊँ।
गुरुचरण हृदय माँहिं धर नित निष्काम मति ही पाऊँ ।।
जय गुरुदेव रटे यह जिव्हा नित सेवा का सुख पाऊँ ।
गुरुकृपा अनन्त सुख देवे मन गुरु चरण माँहिं लगाऊँ ।।

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