शेष क्यों
*शेष क्यों*
नहीं मुझे प्रेम नहीं
प्रेम होता तो प्राण तुम्हीं होते
नहीं माना तुमको प्राण
जो तुम वायु होते
तुम बिन कैसे स्वास आता
जो तुम जल होते
तुम बिन कैसे जीवन होता
नही नही तुम आहार भी न हुए प्राणों का
हाँ पाषाण में प्राण नही होते
नहीं होते पाषाण में प्राण
तो शेष क्यों यह जीवन
तुम नहीं तो जीवन क्यों
प्राण भी शेष क्यों
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