मेरा धन

मेरा धन

जानती हो न सखी
मेरा धन क्या है
मेरा धन मेरे प्रियाप्रियतम
उनका नाम
उनकी सेवा
उनका सुख

मेरा जीवन उनका सुख बने
मेरी स्वास उनका सुख बने

वही तो नित्य धन मेरा
भौतिक धन की क्या कहूँ सखी
आज है 
कल न हुआ तो
उसकी नित्यता कैसी सखी
धन तो यह हमारे
इनका प्रेम
नित्य वर्धित धन
क्षण क्षण बढ़ता धन
इनका प्रेम
इनकी कृपा
इनका स्मरण

और तुम क्या ले पाओगी
देती ही रहोगी
जब जब बात करोगी
इनकी ही बात करोगी
बढ़ाती रहोगी न मेरा धन

इनका प्रेम
इनका प्रेम
जयजय श्रीश्यामाश्याम

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