चन्द्र दर्शन
चन्द्र दर्शन
किसे कहा तुमने
नभ के चन्द्र को
नहीं नहीं
मेरे हृदय के चन्द्र
मेरे निताई चाँद
हाँ यह भी छिपे ही रहते मुझसे
जैसे तुम्हारा चन्द्र छिप जाता तुमसे
बादलों के पीछे
यह भी छिपे ही रहते
मेरे ही हृदय में कहीं
तुम्हारा चन्द्र तो कुछ क्षण बाद
प्रकट भी हो जाता न
देखो मेरे चन्द्र
नहीं आये मेरे चन्द्र
मेरे निताई चाँद
वो क्या छुआ था
तुम
नहीं तुम तो नहीं थे
छिपे ही रहे मुझसे
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