प्यास देना
क्यों दिल ये जल रहा है क्यों आँखें बरसती हैं
क्यों बेकरार नज़रें पल पल को तरसती हैं
क्योँ उठते हैं तूफान ऐसे मुझे तो इश्क़ नहीं है
तेरी ही बेताब हसरतें सब मेरी क्या कोई कहीं है
हाय थाम ले दिल अपने को क्यों मेरे दिल मे धड़कता है
बेचैन सा रहता है सदा ही क्यों बनता है उधड़ता है
देख देख हसरतें तेरी क्यों खामोश सी हो रही हूँ
तेरे ही अश्क़ सारे मैं इन आँखों से रो रही हूँ
हाँ सच कहती हूँ तुमसे मुझे इश्क़ का कोई इल्म नहीं है
करते हो तो बस तुम ही तुम जो किया है वो कम नहीं है
देखो झूठे से फरेबी से इश्क़ को तुम सच्चा न जान लेना
अब सच सच सब कह रही हूँ नहीं इश्क़ मुझे मान लेना
रुसवाईयाँ तन्हाईयाँ ही मेरे हिस्से में सब दे देना
देना दर्दों का समन्दर पर इस दिल मे ज़रा इश्क़ देना
काश मैं तुमसे कभी कह पाऊँ मुझे तुमसे इश्क़ हुआ है
नहीं एहसास ज़रा इस दिल को अब लबों पर यही दुआ है
कभी इस पत्थर से दिल मे कोई इश्क़ का एहसास देना
जो बुझाए से कभी बुझे न बस ऐसी ही प्यास देना
मुझे ऐसी ही प्यास देना.......
कभी ऐसी ही प्यास देना.....
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