तेरा इश्क़
तेरा इश्क़ मुझे अब कुछ करने नहीं देता
जिंदगी की ख्वाहिश खत्म है पर मरने नहीं देता
क्यों दूर रहकर तुमसे जिंदा होने का एहसास है
क्यों रुकती नहीं यह धड़कन क्यों आती हर सांस है
क्यों बेकरार सी हसरतों से दिल यह सुलगता है
तूफान सा उठता है जो सम्भाले न सम्भलता है
यह सच है कि इस दिल पर अब मेरा जोर नहीं है
जो इश्क़ कर सके तुझसे कोई दिल और नहीं है
चलो यूँ ही जिन्दी गुजरती रहे अश्कों से हम भीगी सी
उठती ही रहे टीस कोई सिसकी हो हर सुलगी सी
आएं तो उतनी ही साँसे जो तेरे नाम से चलती हों
बस वही हसरतें बख्शो जो तेरे लिए मचलती हों
हो दुआ कबूल मेरी यह तेरा नाम न पल भी जाए
वो जिंदगी भी जिंदगी क्या जो तेरी याद न बन जाए
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