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Showing posts from February, 2018

प्यास देना

क्यों दिल ये जल रहा है क्यों आँखें बरसती हैं क्यों बेकरार नज़रें पल पल को तरसती हैं क्योँ उठते हैं तूफान ऐसे मुझे तो इश्क़ नहीं है तेरी ही बेताब हसरतें सब मेरी क्या कोई कहीं है ...

तेरा इश्क़

तेरा इश्क़ मुझे अब कुछ करने नहीं देता जिंदगी की ख्वाहिश खत्म है पर मरने नहीं देता क्यों दूर रहकर तुमसे जिंदा होने का एहसास है क्यों रुकती नहीं यह धड़कन क्यों आती हर सांस है क्...

तेरे इश्क़ का फलसफा

काश मुझे समझ आता तेरे इश्क़ का फलसफा नाकाम ही हुए बस कोशिश की जितनी दफा चलो खामोश करदो अपनी इस मोहबत को मेरे दिल मे आशियाँ कर तूफान उठाती है क्यों झूठी सी मोहबत मेरी दायरों क...

श्री गुरु वन्दना

----------*गुरु वन्दना*-------- मानुष तन धारि कै जो करै न गुरु पद- कंज ध्यान । वृथा जन्म ताकौ भयौ सो मानुस पशु समान।। बन्दौ गुरु पद पंकज कीजौ सदा आधार। जिन्हें सेवत नित्य हृदय माहिं भव सों हो...

कहने को है भी क्या

कहने को है भी क्या इश्क़ के फ़साने में दिल जला कर ही मज़ा आता दिल लगाने में कोई पूछे हाल ए दिल तू ही बता क्या कहें गिन रहें हैं आंख भर कितना वक़्त तेरे आने में यूँ तो रँग भरी महफिलें ...

सिंगार को सिंगार

*सिंगार कौ सिंगार* आज प्रियतम के हृदय में चाह उठ रही है कि अपने कर से अपनी प्यारी जु को सिंगार करें। अहा !!सिंगार को सिंगार। प्रियतम हृदय में जो भी अभिलाषा उठी  स्वतः ही प्यारी ...

आज कुञ्जन माँहिं होरी

*आज कुञ्जन माँहिं होरी* यूँ तो श्यामाश्याम का प्रेम निकुञ्ज सदा ही प्रेम रँग से पूरित रहता है, परन्तु आज तो कुछ विशेष ही रँग हुलास हो रहा है। युगल प्रेम रँग भीनी सखियाँ आज उन्...

कहने को भी क्या

कहने को है भी क्या इश्क़ के फ़साने में दिल जला कर ही मज़ा आता दिल लगाने में कोई पूछे हाल ए दिल तू ही बता क्या कहें गिन रहें हैं आंख भर कितना वक़्त तेरे आने में यूँ तो रँग भरी महफिलें ...