अधरं मधुरं

अधरं मधुरं .....मधुर मधुर .... इतनी मधुरता भरी इन अधरों में ...बहा लिए जा रही यह वेणु ... रव रव मधुर मधुर ....  नयनं मधुरं.... क्या भरा है इन नयनों में .... कहाँ से ला रहे इतनी मधुरता ... अरे भीतर ही समेटे बैठे हो .... मत खोलो इन बड़े बड़े नेत्रों को .... मधुराधिपति ... मधुराधिपति .... वचनं मधुरं ... किसे गा रहे हो .... मधुरता को .... भीतर वही तो है ... मधुराधिपति ...  वचनं मधुरं .. भरे भरे ... झार रहे मधुरताओं को.... चलना भी मधुर मधुर.... यह लचकन ... यह ठुमकन ...  तुम्हारी रेणु भी अति मधुर है .... न होती मधुरता तो क्यों समस्त प्रेमी अपने मस्तक का श्रृंगार बनाते .... ओह .. जिसे स्पर्श करते मधुर मधुर ही करते न तुम ... नृत्यं मधुरं .... मधुरता में ही लासित होकर ऐसी ऐसी मधुर मुद्राएँ हे त्रिभंग लला.... मधुराधिपति .... मधुराधिपति..... यह मस्तक पर मधुर मधुर तिलक ... अहा ... यह पीताम्बरी की मधुर कसन ...   रमणम  मधुरं ....रमणम मधुरं ..... मधुरताओं में ही रमण करते हो ... दृष्टमं मधुरं .... जान गई मैं कहाँ निहार रहे हो .... किसे निहार रहे हो .... कालिन्दी का यह मधुर सलिल ....यह तुम ही हो... इसमें यह कमल पुष्प ....तुम्हारे ही नेत्र कमल.... चरण कमल.... कर कमल  सबहि मधुर.... तुम्हारा चलना .... मधुरताओं का रागित होना .... मधुरताओं का ही झरना ..... मधुराधिपति मधुराधिपति.... यह तुम्हारी गुंजा माला मधुर .... एक एक श्रृंगार मधुर.... जहां निहारते हो .... मधुरता बहने लगती है ....  तुम्हारी गोपी मधुर.... ग्वाल मधुर .... जहां स्पर्श कर रहे मधुर ही मधुर .... मधुरता की सृष्टि कर रहे.... मधुरता में लिपटे मधुरताएँ ही बिखेर रहे .... मधुराधिपति मधुराधिपति .... तुम्हारे भीतर समस्त मधुरताएँ भरी पड़ी इतनी भरी इतनी भरी की समाए न समा रही देखो बहती जा रही .... यह मधुरता यह मधुरता  ..... माधुरी माधवी माधुरी तुम्हारी माधुरी ..... मधुरताओं के रमण मधुराधिपति ..... राधारमण राधारमण राधारमण ..... तुम्हारी मधुरता मधुरता .... राधा ...राधा .... माधुरी ... माधुरी ..   मधुराधिपति मधुराधिपति .... राधारमण ....मधुरारमण .... मधुर मधुर मधुर..... मधुरामाधव .... मधुरामाधव..... राधारमण राधारमण ....मधुर मधुर....मधु मधु....मधुता  मधुता ....राधा राधा .... राधारमण ...

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