एक पाषाण

पाषाण

हाँ पाषाण

सुप्त कई जन्मों से
पाषाण सम

जन्म जन्म की जड़ता
इतनी गहरी खाई
पार न करते बने

बल सामर्थ्य 
न न 
बलहीन सामर्थ्यहीन
पूर्णतः

वही उठा लिए इस पाषाण को
नित्य तराशने को

जाने क्या बने तराशने पर
वही जानें जो उठा लिए

क्षण क्षण कुछ तराशना
फिर सहलाना 

पर पाषाण अभी पाषाण ही
सुप्त पूर्ववत

जाने कब ऐसी चोट पड़े
कि भीतर से कुछ फूट पड़े

जन्म जन्म से भीतर ही भीतर
सुप्त नहीं जाग्रत है

जिसकी मचलन है भीतर ही 

बाहर केवल सुप्त एक पाषाण

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